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बिहार का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर |

बिहार के औरंगाबाद जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर देव अपने पुरातन संस्कृति के धरोहर को सहेजने के लिए जाना जाता है। देव में स्थापित देव सूर्य मंदिर देवार्क के नाम से प्रचलित है। देवार्क मंदिर अपने किवंदंतियों के लिए भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त काल मे देवार्क मंदिर की स्थापना की गई थी। पांचवी व छठी शताब्दी में निर्मित इस देवार्क मंदिर को लेकर स्थानीय स्तर पर अलग अलग कथा प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि देवार्क मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में कर दिया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने प्रथम असुर संग्राम में देवताओं के हार से देव माता अदिति ने भगवान सूर्य से अजय पुत्र प्राप्ति की आशा से छठ की उपासना की थी और छठ की उपासना को लेकर ही भगवान विश्वकर्मा ने इस देवार्क मंदिर का निर्माण एक दिन में किया था। देवार्क मंदिर के समीप एक जल कुंड भी है जहां आज भी भगवान सूर्य की आराधना कार्तिक व चैत्र मास में छठ के रूप में किया जाता है। देव माता अदिति ने जिस परंपरा की सुरुवात की थी आज भी छठ के अवसर पर हजारो भक्त भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य के मंदिर देवार्क मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के पुत्र साम्य ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। देवार्क मंदिर शिल्प कला के लिए भी विख्यात है। देवार्क मंदिर वाराणासी के लोलार्क और उड़ीसा के कोणार्क मंदिर के मिश्रित शिल्प कला का प्रतीक है और देवार्क मंदिर में नागर शिल्प, द्रविड़ शिल्प व वेसर शिल्प का अनूठा संगम दिखता है। देवार्क मंदिर पत्थर से निर्मित है और इसकी बारीक काम यहां आने वाले लोगों को अभिभूत कर देती है। देवार्क मंदिर भगवान सूर्य के 12 मंदिरों में से एक है जो पश्चिमाभिमुख मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। शेष सभी मंदिर पूर्वाभिमुख है। केवल एक सूर्य मंदिर है जो पश्चिमाभिमुख देवार्क मंदिर है। इस मंदिर को देखने के लिए सालाना 18 से 20 लाख लोग दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पुजारी सचिदानंद ने v bharat न्यूज़ को बताया कि स्थानीय लोगों ने भी मंदिर को लेकर बताया कि स्थानीय लोगों ने मंदिर को लेकर बताया कि लॉक डाउन से यहां पूजा प्रभावित हुआ है। कोरोना संक्रमण के काल मे सरकार के द्वारा जारी गाइड लाइन में मंदिर में पूजा बंद करा दिया और वर्तमान में भी देवार्क मंदिर में जल कुंड क्षेत्र को बंद किया हुआ है। जिससे यहां आने वाले भक्तों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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