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कृषि बाजार समितियों से SDO की छुट्टी करके राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। राज्य सरकार बाजार शुल्क वसूलने और इसे प्रशासनिक निगरानी से मुक्त कराने की तैयारी में लग गई है..

रांची: झारखंड सरकार एक बार फिर बाजार शुल्क वसूलने और इसे प्रशासनिक निगरानी से मुक्त कराने की तैयारी में लग गई है। अब तक कृषि बाजार समितियों में अनुमंडलाधिकारी के पास समस्त प्रशासनिक शक्तियां दी गई थी। जिसे हटाते हुए नई व्यवस्था में कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों के अनुभवी कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी की जा रही है। इस पद पर व्यक्ति का मनोनयन सरकार की ओर से किया जाएगा। इससे बाजार समितियों के विकास और आर्थिक ढांचे में सुधार आएगा। कृषि विभाग ने यह प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट बैठक के लिए आगे बढ़ा दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि एक महीने में इस प्रस्ताव को पारित कर दी जाएगी। बाजार समितियों से SDO को मुक्त करते हुए सरकार उस राशि का उपयोग परिसंपत्तियों की देखभाल एवं सुदृढ़ीकरण के लिए करना चाहती है। झारखंड में पहले भी बाजार शुल्क वसूलने की व्यवस्था रही है। 2015 के अप्रैल महीने में तत्कालीन सरकार ने इसे खत्म करते हुए बाजार शुल्क वसूली को बंद कर दिया था। इससे पहले बाजार समितियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद प्रशासनिक निगरानी के लिए SDO को अहम जिम्मेदारी दी गई थी। जिसको लेकर पिछले दिनों कृषि मंत्री बादल की अध्यक्षता में मार्केटिंग बोर्ड की बैठक में चर्चा भी हुई थी। उसी बैठक में मंत्री ने बाजार शुल्क और इससे जुड़े विकल्पों को लेकर प्रस्ताव तैयार करने का आदेश बोर्ड के अधिकारियों को दिया था।

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