नक्सली नेता प्रशांत बोस को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी पुलिस, न्यायिक हिरासत में भेजे गये जेल

प्रशांत बोस साल 1974 में गिरफ्तारी के बाद हजारीबाग जेल भेजे गये. 1978 में जेल से निकलने के बाद वे दोबारा भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गये. पिछले 45 सालों से संगठन के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थे. उन्होंने बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया. कुमारसरायकेला. सरायकेला पुलिस रविवार को 71 वर्षीय नक्सली नेता प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला समेत चार अन्य साथियों वीरेंद्र हांसदा, राजू टूडू, कृष्णा बाहदा एवं गुरुचरण बोदरा को भारी सुरक्षा के बीच सदर अस्पताल लाई. अस्पताल में बारी-बारी से सभी की मेडिकल जांच कराई गई. मेडिकल जांच में प्रशांत बोस मानसिक व शारीरिक रूप से दुरुस्त पाए गए. इसके बाद उनको मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रस्तुत किया गया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. सोमवार को सिमडेगा पुलिस प्रशांत बोस को रिमांड पर लेने के लिए न्यायालय में अपील करेगी.

45 सालों से भाकपा माओवादी संगठन से जुड़े हुए थे प्रशांत बोस

प्रशांत बोस 60 के दशक में पढ़ाई के दौरान कोलकाता में नक्सली संगठन के मजदूर यूनियन से जुड़े थे. धीरे-धीरे वे संगठन के लिए पूर्ण समर्पण के साथ काम करने लगे. प्रशांत बोस ने एमसीसीआई के संस्थापक में से एक कन्हाई चटर्जी के साथ गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और हजारीबाग इलाके में जमींदारी प्रथा और महाजनों के द्वारा जनता के शोषण और प्रताड़ना के खिलाफ संथाली नेताओं द्वारा चलाये जा रहे आंदोलन का समर्थन किया. एमसीसीआई के बैनर तले आंदोलन को मुखर करने के लिए ये लोग इस इलाके में आये थे. इस दौरान रतिलाल मुर्मू के साथ मिलकर धनबाद, गिरिडीह और हजारीबाग के इलाकों में स्थानीय जमींदारों के द्वारा गठित सनलाइट सेना और महाजनों के खिलाफ एमसीसीआई के बैनर तले साल 2008 तक आंदोलन करते रहे.

इस क्षेत्र के अलावा जमींदारों द्वारा गठित बिहार के जहानाबाद, भोजपुर और गया के इलाके में सक्रिय रणवीर सेना और पुलिस के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए झारखंड के पलामू चतरा, गुमला, लोहरदगा संथाल परगना और कोल्हान के क्षेत्र में भाकपा माओवादी संगठन को मजबूत किया. इस दौरान बिहार, झारखंड, बंगाल और उड़ीसा में कई बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया.

1974 में जा चुके थे जेल
साल 1974 में पुलिस द्वारा प्रशांत बोस को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया था. 1978 में जेल से निकलने के बाद प्रशांत बोस दोबारा भाकपा माओवादी संगठन में शामिल हो गये. पिछले 45 सालों से संगठन के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे. साल 2004 में भाकपा माओवादी संगठन का गठन होने के बाद प्रशांत बोस केंद्रीय कमेटी सदस्य, पोलित ब्यूरो सदस्य, केंद्रीय मिलिट्री कमीशन सदस्य और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रभारी बनाये गये.