राँची/-* झारखण्ड पुलिस के समक्ष सरेंडर कर चुके नक्सली कुंदन पाहन की जमानत याचिका पर एनआईए की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद उसे जमानत देने से इंकार
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कुंदन के अधिवक्ता ने अदालत से कहा की राज्य सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत उसने आत्मसमर्पण किया है।सरेंडर करने के बाद किसी भी आपराधिक घटना में उसका नाम नहीं आया है। लिहाजा कुंदन की लम्बी न्यायिक हिरासत की अवधि को देखते हुए जमानत दी जानी चाहिए। जिस पर एनआईए के अधिवक्ता ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर कुंदन पाहन जेल से बाहर आ जाता है तो वो इस केस से जुड़े गवाहों को प्रभावित कर सकता है।दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कुंदन पाहन की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी।बता दें कि आत्मसमर्पण के 5 साल बीतने के बाद सरेंडर कर चुके नक्सली कुंदन पाहन ने कोर्ट से जमानत की गुहार लगायी थी। कुंदन पाहन ने एनआईए कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। कुंदन पूर्व मंत्री और तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या समेत कई चर्चित घटनाओं को अंजाम देने का आरोपी है।लेकिन अब ओपन जेल की चाहरदीवारी में रहते हुए बाहर आने की कोशिश में है।कुंदन पाहन के अधिवक्ता ईश्वर दयाल किशोर के मुताबिक कुंदन पाहन ने अपनी कस्टडी की अवधि को जमानत का आधार बनाकर न्यायालय से उसे बेल देने की गुहार लगाई गयी थी।