अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट: 77 में से 49 आरोपी ठहराए गए दोषी
नई दिल्ली: गुजरात की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को 2008 के अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों से संबंधित मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसमें 56 लोगों की जान चली गई थी और जिसके लिए लगभग 80 आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया था। अदालत ने अपने आदेश में आज इस मामले के 77 आरोपियों में से 10 को बरी कर दिया, जबकि 49 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है।मामले में सजा की घोषणा बुधवार को की जाएगी। अब तक इस मामले में 28 लोगों को बरी किया गया है, जिनमें में से 16 को संदेह का लाभ दिया गया, जबकि 12 को सबूतों के अभाव में निर्दोष करार दिया गया। अदालत ने पिछले साल सितंबर में 13 साल से अधिक पुराने मामले में सुनवाई पूरी की थी। ट्रायल कोर्ट ने 1 फरवरी को फैसले की तारीख के रूप में निर्धारित किया था, लेकिन जज को कोरोना होने और होम आइसोलेशन में जाने के बाद मामले को 8 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया था। 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर अहमदाबाद शहर में हुए 21 बम विस्फोटों में कम से कम 56 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए। पुलिस ने दावा किया था कि प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथियों के एक धड़े इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) से जुड़े लोग विस्फोटों में शामिल थे। यह आरोप लगाया गया था कि इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आतंकवादियों ने गुजरात में 2002 के बाद के गोधरा दंगों का बदला लेने के लिए इन विस्फोटों की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मारे गए थे। अहमदाबाद में सिलसिलेवार धमाकों के कुछ दिनों बाद पुलिस ने सूरत के अलग-अलग हिस्सों से बम बरामद किए। बरामद होने के बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकी मर्ज किए जाने के बाद इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े 78 लोगों के खिलाफ दिसंबर 2009 में मामले की सुनवाई शुरू हुई। उनमें से एक के सरकारी गवाह बनने के बाद आरोपियों की संख्या घटकर 77 हो गई। एक वरिष्ठ सरकारी वकील ने कहा कि बाद में चार और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उनका मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है। अभियोजन पक्ष द्वारा 1,100 से अधिक गवाहों का परीक्षण किया गया। आरोपी अन्य लोगों के अलावा हत्या और आपराधिक साजिश के आरोपों का सामना कर रहे हैं, और उन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), एक आतंकवाद विरोधी अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। विशेष अदालत ने शुरू में उच्च सुरक्षा वाली साबरमती सेंट्रल जेल के अंदर से मामले की सुनवाई की और बाद में ज्यादातर वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही की गई। जब मुकदमा चल रहा था, तब कुछ कैदियों ने 2013 में जेल में 213 फीट लंबी सुरंग खोदकर कथित तौर पर भागने की कोशिश की थी।