प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए टिकाऊ कृषि अपनायें: कुलपति

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने मिट्टी, पानी, जैवविविधता जैसे प्राकृतिक संसाधनों को भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित, स्वस्थ, समृद्ध रखने हेतु टिकाऊ कृषि तकनीक अपनाने की अपील कृषि वैज्ञानिकों से की है। उन्होंने कहा कि आजादी के ठीक बाद देश की 36 करोड़ आबादी को खिलाने में भी हमें मुश्किल पड़ती थी और विदेशों से काफी खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। आज 136 करोड़ की आबादी को भी हम न केवल आसानी से खिला पा रहे हैं बल्कि प्रतिवर्ष डेढ़ लाख करोड़ रुपए का कृषि उत्पाद दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहे हैं। किंतु इसकी हमें कीमत भी देनी पड़ी घटते भूजल स्तर और मृदा उर्वरता में कमी के रूप में क्योंकि सारा ध्यान उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर रहा। पोषण सुरक्षा और खेती के प्राकृतिक संसाधनों के स्वास्थ्य-संरक्षण पर जितना ध्यान देना चाहिए था, उतना नहीं दिया जा सका।
कुलपति बुद्धवार को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ‘सतत विकास के लिए नवीन कृषि पद्धतियां’ विषय पर आयोजित तीनदिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने एरोबिक राइस को झारखंड में बढ़ावा देने और इस विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक किलो धान उगाने में 3 से 5 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है किंतु एरोबिक राइस में पानी की आवश्यकता घटकर आधी रह जाती है क्योंकि इस पद्धति में मक्का और गेहूं की तरह ही धान की सीधी बोआई की जाती है। कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि झारखंड में अधिकांश कृषि कार्य महिलाएं करती हैं इसलिए प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम में उनकी पर्याप्त संख्या सुनिश्चित की जानी चाहिए।
नाबार्ड के महाप्रबंधक एस के नन्दा ने कहा कि झारखंड में 80% कृषि वर्षा पर आधारित है इसलिए जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रतिकूल असर किसानों के जीवन और आजीविका पर पड़ता है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की क्षेत्रवार रणनीतियां वैज्ञानिकों को तैयार कर किसानों को उपलब्ध करानी चाहिए। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रत्येक सत्र में व्यावहारिक अनुभव आधारित वीडियो, प्रक्षेत्र परिभ्रमण और किसानों का अनुभव कथन शामिल करने पर जोर दिया ताकि प्रशिक्षण ज्यादा रोचक हो सके।
इस आयोजन को कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ एस के पाल, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उराँव, डॉ बीके झा, डॉ हेमचंद्र लाल ने भी सम्बोधित किया।
स्वागत भाषण कृषि प्रसार विभागाध्यक्ष डॉ निभा बाड़ा यथा संचालन डॉ विनय कुमार ने किया।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण में पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला, धनबाद और खूंटी जिले के 80 किसान भाग ले रहे हैं।
इस कार्यक्रम में बीएयू के निदेशक अनुसंधान डॉ ए वदूद, डीएसडब्ल्यू डॉ डीके शाही तथा नाबार्ड से एजीएम अभय कुमार सिंह, अभिनव कृष्ण, परामर्शी अंकिता भी उपस्थित थे।