चुनाव समीकरणों पर तेज हुई बहस, चौपालों से नुक्कड़ों तक मचा घमासान, कही बाजी न पलट दे डाक मतपत्र

मतगणना भले ही 10 मार्च को होगी, लेकिन समीकरणों पर चौपालों से नुक्कड़ों तक बहस तेज है। मतदान प्रतिशत, किसके मतों में बिखराव और कौन एकजुट हुआ, इसके कयास लगाए जा रहे हैं। आमजन के साथ सरकारी कर्मचारियों, दिव्यांगों और बुजुर्गों के मतों को भी अहम फैक्टर माना जा रहा है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में डाक मतपत्रों ने ही मामूली अंतर वाली कई सीटों पर आखिरी वक्त में नतीजे ही बदल दिए थे। इस बार भी सबकी निगाह डाक मतपत्रों पर है।

सहारनपुर के जेवी जैन डिग्री कॉलेज के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. प्रविंद्र मलिक का कहना है कि मेरठ-सहारनपुर मंडल की अधिकांश सीटों पर इस बार मुकाबला भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के बीच रहा। मतदाताओं ने प्रत्याशी के बजाए पार्टी को वोट किया। मतदाताओं के बीच चुनाव में स्थानीय मुद्दे गौण रहे। ऐसे में डाक मतपत्र भी बेहद अहम हैं। वीवी पीजी कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता प्रताप सरोहा का कहना है कि इस बार विधानसभा चुनाव 2022 में विकास समेत सभी मुद्दे गायब रहे हैं। जातिवाद और धार्मिक मुददा हावी रहा है। भाजपा को साइलेंट मतदान हुआ है। गठबंधन में ज्यादा शोरशराबा रहा है। ऐसे में मुकाबले करीबी हैं और डाक मतपत्र निश्चित तौर पर अहम भूमिका निभाएंगे।

राजनीति शास्त्र के सहायक आचार्य डॉ. नीशू भाटी कहते हैं कि सरकारी कर्मचारियों के मत हमेशा ही चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके मतों को शुरुआत में आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है। इसीलिए कई बार मामूली हार-जीत के अंतर वाली सीटों पर मतगणना के दिन ही डाकमतों की वजह से परिणाम चौंकाने वाले आते हैं। सहारनपुर में आए 9484 मतपत्र
प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार सहारनपुर जनपद में 9484 मतदाताओं ने डाक मतपत्रों का प्रयोग किया। इनमें 1180 वोटर 80 वर्ष की आयु से अधिक के बुजुर्ग, 185 दिव्यांग और 3976 सर्विस वोटर शामिल हैं। इसके साथ ही मतदान कार्मिकों ने भी डाक मतपत्रों से मतदान किया। इनमें 4143 मतदान कार्मिक शामिल हैं।

विधानसभा चुनाव में पड़े मतों का प्रतिशत
मत प्रतिशत- 2022
71.43
मत प्रतिशत- 2017
73.00
मत प्रतिशत- 2012
71.8 मेरठ में भी डाक मतपत्र रहेंगे बड़ा फैक्टर
सिवालखास : 2224
सरधना : 1916
हस्तिनापुर : 1879
किठौर : 1499 (दो विदेश में रहने वाले)
कैंट : 1539 (नौ विदेश में रहने वाले)
शहर : 315 (एक विदेश में रहने वाले)
दक्षिण : 544 (दो विदेश में रहने वाले)

कर्मचारियों ने किया मतदान का आंकड़ा
कुल बैलेट : 4250
सिवालखास : 409
सरधना : 453
हस्तिनापुर : 454
किठौर : 366
कैंट : 1354
शहर : 437
दक्षिण : 777 दिव्यांग और बुजुर्ग घर से डालने वाले मतदाता – 1080
1. कुल दिव्यांग, बुजुर्ग मतदाता कुल मतदाता पड़े मत
675 572
2. कुल सर्विस मतदाता 3650 1100
2017 में मतदान: 67.12 प्रतिशत 2022 में मतदान: 70.17 प्रतिशत

1687 डाकमत प्राप्त हुए मुजफ्फरनगर में
जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर सर्विस वोटर की संख्या 5693 हैं, इनमें 175 महिला हैं। इन वोटर्स में से अब तक 1687 के डाकमत आ चुके हैं। राज्य कर्मचारियों में से 4178 ने पोस्टल बैलेट का प्रयोग किया है। 80 साल से ऊपर के 32902 वोटर में से 412 ने पोस्टल बैलेट का प्रयोग किया है। 16832 दिव्यांग वोटर में से 208 ने पोस्टल बैलेट से वोट डाला है। 2017 की अपेक्षा इस बार मतदान कम रहा है। 2017 में 67.16 प्रतिशत वोट पड़े थे, इस बार 66.74 प्रतिशत वोट पड़े हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां 68.31 प्रतिशत वोट पड़े थे। 1246 वोट डाले गए बागपत में पोस्टल बैलेट से
पोस्टल बैलेट से बागपत विधानसभा सीट पर 35 बुजुर्गों व 23 दिव्यांगों ने वोट डाले है। बड़ौत विधानसभा सीट पर 65 बुजुर्गों व 13 दिव्यांगों और छपरौली विधानसभा सीट पर 50 बुजुर्गों व 11 दिव्यांगों ने वोट डाला है। इनके अलावा मतदान कर्मियों ने पोस्टल बैलेट से बागपत सीट पर 250, बड़ौत सीट पर 469 व छपरौली सीट पर 330 वोट डाले गए है।

बिजनौर में भी खूब आए डाक मतपत्र
– 2499 बुजुर्गो और दिव्यांगों ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया
– 6447 सरकारी कर्मचारियों ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया
– जिले में कुल 18455 सर्विस वोटर हैं
– इस बार हुए चुनाव में कुल मतदान 66.18 प्रतिशत मतदान हुआ
– पिछले चुनाव 2017 में मतदान प्रतिशत 66.72 प्रतिशत था
– वर्ष 2012 में जिले में कुल मतदान 64.11 प्रतिशत था