मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई हुई पूरी
34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन समिति के घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर फैसला सुरक्षित
एनजीओसी की तरफ से खर्च किये गये 28.38 करोड़ को बताया गया वित्तीय अनियमिततारांची: झारखंड में 2010 में आयोजित किये गये 34वें राष्ट्रीय खेल में आयोजन समिति की तरफ से खर्च किये गये 28.38 करोड़ के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने नेशनल गेम्स ऑरगनाइजेसन समिति की तरफ से किये गये खर्च की राशि को बेबुनियाद बता कर आपत्ति दर्ज की. मामले को लेकर दोनों पक्षों की दलीलें आज सुनी गयी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया. मामले पर सोमवार 11 अप्रैल को फैसला सुनाया जायेगा. जानकारी के अनुसार 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी ने 2010 में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. आयोजन समिति के अध्यक्ष आरके आनंद, महासचिव एसएम हासमी, तत्कालीन खेल निदेशक पीसी मिश्रा, कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक और अन्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितता करने और मंहगी कीमतों पर खेल वस्तुएं खरीदने का आरोप लगा था. 34वें राष्ट्रीय खेल में 28 करोड़ 38 लाख रुपये के घोटाले के आरोप में एसीबी ने 2010 ने प्राथमिकी दर्ज की कोर्ट ने आज सुनवाई के क्रम में यह भी जानना चाहा कि 10 वर्षों में क्यों नहीं एसीबी जांच की शुरुआत की थी. 2022 यानी 12 साल बाद भी जांच पूरी नहीं हो पायी. प्रार्थी की ओर से एसीबी जांच कि वैधता को चुनौती दी गयी है. याचिकाकर्ता ने इसी बाबत एसीबी की जांच प्रक्रिया को संदेहास्पद बताते हुए कहा कि क्यों नहीं इसकी जांच सीबीआई से करायी जाये. मामले पर सरकार को फटकार भी लगायी गयी.
