भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित ‘स्वयंसेवी संस्थाओं के सम्मेलन’ में विचार साझा किया। स्वयंसेवी संस्थाओं का ये दो दिन का सम्मेलन मध्यप्रदेश में जन सहभागिता को बढ़ावा देने के एक नए युग की शुरुआत करेगा। दो दिन तक चले चिंतन-मंथन के जो मुख्य बिंदु हैं, अनुशंसा हैं, उन्हें लागू करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मैंने प्रतिदिन पौधरोपण का संकल्प लिया, जिसमें बाद में स्वयंसेवी संस्थाएं भी साथ आने लगीं। भोपाल में ऐसी अनेकों संस्थाएं हैं, जो गरीब कल्याण, शिक्षा, चिकित्सा सहित विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर प्रशंसनीय योगदान दे रही हैं।
कोरोना संकटकाल में स्वयंसेवी संस्थाओं के अभूतपूर्व योगदान के साथ ही मध्यप्रदेश ने पूरे देश को जन सहभागिता का संदेश दिया। स्वयं जनता ने भी इस लड़ाई में अपनी सहभागिता दी और हम कोरोना को परास्त करने में सफल रहे। टीकाकरण को लेकर भी भ्रम फैलाया गए, विरोध किया गया, लेकिन कोरोना संकटकाल में जैसे क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी ने मोर्चा संभाला था, उसी तरह टीकाकरण में भी कैसे इन कमेटियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और टीकाकरण सफल हुआ।
हम सब जितनी आवश्यकता हो, उतनी बिजली का उपयोग करें। यदि अनावश्यक बिजली का उपयोग बंद कर दिया जाये, तो 4 हजार करोड़ रुपये बचाये जा सकते हैं। एनजीओ को पंजीकरण सहित अन्य कार्य हेतु कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। क्यों न जनअभियान परिषद के तहत हर जिले में एक कार्यालय में सभी मामलों के निपटारे की व्यवस्था हो? परिषद को प्रशिक्षण अटल बिहारी वाजपेयी संस्थान से मिले।