हेमंत और बसंत पर 2013 में ही आय से अधिक संपत्ति मामले को कोर्ट ने किया था खारिज, उस समय भी अधिवक्ता राजीव कुमार ही थेः महाधिवक्ता

 

रांची : सियासी उठापटक के बीच झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस बुलायी. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन की आय से अधिक संपत्ति मामले में कहा कि याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा ने पीआइएल 8 अप्रैल 2021 को दायर की थी. इससे पहले 2013 में दीवान इंद्रनील सिन्हा नाम के एक शख्स ने इस पीआइएल को दायर किया था, उसी दायर पीआइल से सभी पेपर को निकाल कर कॉपी पेस्ट किया गया औऱ दोबारा से पीआइएल की गयी. 2013 में जब यह पीआइएल दायर की गयी थी, तो इसे डिसमिस कर कोर्ट की ओर से 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था. बावजूद इसके 2021 में दोबारा इन्हीं कागजों का हवाला देकर पीआइएल दायर की गयी है. इस पूरे मामले में ईडी को भी पार्टी बनाया गया था. इसलिए कोर्ट की तरफ से ईडी से दो हफ्ते के अंदर रिपोर्ट मांगी गयी है.

दीवान इंद्रनील सिन्हा ने जिस पीआइएल को दायर किया था, उसके भी अधिवक्ता राजीव कुमार ही थे. कोर्ट को जब इस मामले की जानकारी हुई तब कोर्ट इस बाबत काफी नाराज हुआ और कोर्ट की तरफ से कहा गया कि अगर ये सभी बातें सही साबित होती हैं तो कोर्ट की तरफ से सख्त कार्रवाई की जायेगी. यह मुद्दा काफी गंभीर है इसलिए खुद से प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया के सामने रखा जा रहा है.

आज से पहले सुनवाई में कोर्ट ने सीबीआई जांच से सबंधित सभी दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता एक्टिविस्ट शिव शंकर शर्मा ने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी. अधिवक्ता राजीव कुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल एवं अन्य को दिया जाता है. यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है और इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट मनी बनाया जा रहा है. इसलिए याचिका के माध्यम से अदालत से जांच की मांग की गई है. सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है. इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, रवि केजरीवाल, रमेश केजरीवाल, राजीव अग्रवाल एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.