
जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह
धनबाद जिला परिषद के पास फंड की भारी किल्लत है. परिषद के पास जो भी पैसा है, वह स्थापना मद का है और बैंक में फिक्स है. उसके ब्याज से मिलने वाली राशि से कर्मचारियों का वेतन व स्थापना का खर्च चलता है. जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह ने कहा कि परिषद के जर्जर दुकानों व विवाह मंडपों की मरम्मत कराकर भाड़े पर लगाकर फंड का जुगाड़ किया जाएगा. छठ के बाद होनेवाली परिषद बोर्ड की बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जाएगा. बैठक में परिषद की खाली पड़ी जमीनों का कैसे उपयोग हो, इस पर भी चर्चा होगी. खाली जमीन पर पीपीपी मोड पर मार्केट कॉम्प्लेक्स बनाने का प्रस्ताव लाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि जिला परिषद की कुल 900 दुकानें हैं, जो किराए पर दी गई हैं. लेकिन ज्यादातर दुकानदार लंबे समय से किराए का भुगतान नहीं कर रहे हैं. ऐसे दुकानदारों को नोटिस भेजकर जल्द भुगदान का आदेश दिया गया था. इसके बाद कुछ दुकानदारों ने किराया जमा किया है. बैठक छठ के बाद रखी जाएगी.
कमीशन के चक्कर में लटकीं योजनाएं : ज्ञानरंजन
इधर, भाजपा ग्रामीण जिला अध्यक्ष ज्ञानरंजन सिन्हा ने कहा कि ग्रामीण जनता पानी, बिजली के लिए तरस रही है. जिला परिषद चुनाव के बाद नई कमेटी से विकास की उम्मीद जगी थी. लेकिन विकास करना तो दूर परिषद के जिम्मेदार फंड का रोना रो रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी राज्य सरकार भ्रष्ट हो गई है. हर जगह कमीशन का खेल है. जिला परिषद अध्यक्ष और कमिश्नर सेटिंग नहीं कर पा रहे हैं. कमीशन ऊपर तक पहुंचेगा तभी योजना पास हो सकेगी. कमीशन के चक्कर में योजनाएं लटक जा रही हैं.