भुली। सनातन धर्म मे कई त्योहार अपनी विशेष पूजा के लिए जाना जाता है और उसमें सबसे खास व महत्वपूर्ण पर्व छठ है। बिहार उत्तर प्रदेश के साथ अब जहां भी इस क्षेत्र के लोग रहते हैं वहां छठ महापर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ पर्व को काफी महत्व के साथ मनाया जाता है। नहाय खाय के छठ पर्व की सुरुवात होती है और अगले दिन खरना होता है और फिर सबसे महत्वपूर्ण संध्या अर्घ्य।
संध्या अर्घ्य के साथ एक विशेष परंपरा का भी कुछ व्रती पालन करती हैं जिसे कोसी भराई कहा जाता है।
मूल रूप से हाथी के ऊपर दीप जलाया जाता है और मौसमी फल व सब्जी चढ़ाया जाता है। कोसी भराई का महत्व है कि छठ व्रती अपने परिवार के सुख समृद्धि व स्वास्थ्य के लिए कोसी भरती हैं और छठ माता से आशीर्वाद मांगती हैं। छठ माता से मांगी गई मन्नत पूरा होने के बाद लोग कोसी भरते हैं।
इस बार संध्या अर्घ्य 30 अक्टूबर को है और कोसी भराई के लिए कुम्हार हाथी बना रहे हैं। त्रिलोकी पंडित बताते हैं कि छठ पर्व में कोसी भराई से मनोकामना पूर्ण होता है और हमलोग कड़ी मेहनत से हाथी बना रहे हैं। जिसके ऊपर 5 दिया से 12 और 24 दिया तक ऑडर से बनाते हैं। सामान्य रूप से हमलोग 5 दिया का ही कोसी बनाते हैं।