
धनबाद:भाजपा नेता सतीश सिंह हत्याकांड में शुजपा नेता सतीश सिंह हत्याकांड में शुक्रवार को अदालत में फिर से गवाही शुरू हुई। जिला एवं सत्र न्यायाधीश 16 अखिलेश कुमार की अदालत में पूरक आरोप पत्र के आरोपी विकास सिंह एवं सतीश साव उर्फ़ गांधी के खिलाफ गवाही शुरू की गई।क्रवार को अदालत में फिर से गवाही शुरू हुई। जिला एवं सत्र न्यायाधीश 16 अखिलेश कुमार की अदालत में पूरक आरोप पत्र के आरोपी विकास सिंह एवं सतीश साव उर्फ़ गांधी के खिलाफ गवाही शुरू की गई।
इस मामले में पहले गवाह के रूप में स्वरूप कुमार दत्ता की गवाही हुई। जब्ती सूची के गवाह स्वरूप ने अदालत के समक्ष अपने को इस मामले का चश्मदीद गवाह के रूप में पेश किया। अदालत में गवाह ने किसी आरोपी को नहीं पहचाना। अदालत में विकास सिंह जमानत पर जेल से बाहर होने के कारण उपस्थित था जबकि सतीश साव उर्फ़ गांधी को पुलिस अभिरक्षा में पेश किया गया था।कोर्ट को दिए गए बयान में स्वरूप ने बताया कि वह सतीश सिंह को जानता है। सतीश भाजपा के नेता थे। घटना 19 अगस्त 2020 की दोपहर साढ़े तीन बजे की है। उस समय वह जीतेंद्र सिंह के साथ विकास नगर स्थित गंगू की चाय दुकान पर चाय पी रहा था। देखा कि सतीश सिंह ब्लू रंग की गाड़ी से उतरकर पैदल अपने अपार्टमेंट की तरफ जा रहे थे, उसी वक्त दो बाइक सतीश के पीछे से आई। दोनों बाइक पर दो-दो लोग सवार थे। एक बाइक के पीछे बाबूराज चंद्रप्रकाश बैठा था। उसने पीछे से सतीश सिंह पर गोली चलाई। गोली सतीश सिंह के गर्दन पर लगी। उसके बाद सतीश सिंह वहीं गिर पड़े। बाइक उत्तम महतो चला रहा था। दूसरे बाइक ललन दास चला रहा था। सतीश सिंह के गिरते ही दोनों बाइक सवार विकास नगर होते हुए भाग गए। घटना के बाद वह तथा जीतेंद्र सिंह तुरंत वहां पहुंचे और सतीश को वहां से उठा कर पीएमसीएच ले गए, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
बैंक मोड़ थाना प्रभारी वीर कुमार ने शाम साढ़े पांच बजे उसके सामने विकासनगर से एक 9एमएम का खोखा बरामद किया था। जब्ती सूची पर उसने हस्ताक्षर बनाया था, जिसे अदालत में उसने पहचान की। कहा कि जब्ती सूची थाना प्रभारी द्वारा बनाई गई थी। सतीश के भाई संतोष कुमार सिंह ने बैंक मोड़ थाना में लिखित प्रतिवेदन देकर मुकदमा किया गया था, जिसमें स्वरूप ने गवाह के रूप में अपना हस्ताक्षर बनाया है। गवाह ने यह भी स्वीकार किया कि बाइक चालक हेलमेट लगाए हुए था, जिससे वह सतीश साव को नहीं पहचान सका तथा रंगदारी मांगने की बात भी उसने कभी नहीं सुनी थी। इससे पूर्व 16 सितंबर 2021 को स्वरूप की गवाही हुई थी। स्वरूप दत्ता की गवाही ही इस मामले के आरोपियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया था।