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नीतीश जी को आज ‘ शंकर’ कहें तो कोई अतिस्योक्ती नहीं होगी । क्योंकि उन्होने राजनीति में जिसे भी आगे बढ़ाया,अधिक ने भस्मासुर की तरह उन्हीं के सिर पर हाथ रखने का प्रयास किया। ‘ बगैर खासियत के कोई 18 वर्षों से मुख्य मंत्री बना नही रह सकता।” रवींद्र कुमार रतन

बिहार में 18 वर्षों से बने मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को
‘ पद ‘ क्या कोई भी लोभ देश
और प्रदेश के विकाससे रोक
नहीं सकता ।बिना कोई खासियत के कोई 18 साल से मुख्य मंत्री थोड़े ही बना रह सकता है। कुछ लोग उन्हे
समय-समय पर प्रधान मंत्री ,’ राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति ‘ के पदों
का लोभ देकर राष्ट्र की मुख्य
धारा से मोड़ना चाहते है ये सोचते है कि वे मुख्य मंत्री की कुर्सी खाली करें कि हम उस पर बैठें ।मगर सबने देखा और सुना कि कैसे वे वेवाकी से जबाब देकर मिडियाऔर लोगों के भ्रम का कुहासा मिटादिया। उनका एक मात्र सन्देश है कि बिहारआपसी प्रेम और भाईचारा से ही और तेजी से आगे बढ़ेगा।कुछलोग जो यहाँ की सीधी – साधी जनता को आपस में लड़ाने का प्रयास करते हैं उन्हें मुहं की खानी पड़ती है क्यों कि यहाँ की जनता ज्ञानी और वुद्धिमान है वे इनके साजिस को समझते हैं,वे विकास चाहते हैं। उन्होने आगे बिहार के इतिहास की चर्चा करतेहुए कहा कि बिहार शक्ति शाली सम्राटों और सुफी संतों की भूमि रही है,इसका इतिहास काफी गौरव शाली रहा है।ऊर्जावान मुख्य मंत्री ने अपनादृढसंकल्प दुहराते हुए कहाकि हमबिहार को और आगे ले जाने के लिए हर मोर्चे पर लगातार काम कर रहें हैं औरआगे भी रहे तो करते रहेंगे ,उनके कार्यो की प्रशंसा औरसराहना करते हुए जे पी आन्दोलन का एक अदना सिपाही,और अवकाश प्राप्त बैंक कर्मी तथा कला संस्कृति एवं खेल प्रकोस्ठ ,जद यू के प्रदेश
मह सचिव, रवींद्र कुमार रतन ने अपने सर्व मान्य नेता
नीतीश कुमार को बिहार में
विकास और सुशासन के लिये
बधाई आभार प्रकट करते हुए
उनके शतायु होने एब्ं बिहार के विकास की शुभ कामनाएं
दी और कहा है कि आज के माहौल में यदि नीतीश जी को ‘ शिव ‘ कहें तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी, क्यों कि हं देखते हैं कि जिस जिस को उन्होने राजनीति में
आगे बढ़ाया,अधिकतर ने भस्मासुर की तरह उन्हीं के सिर पर हाथ रखने का प्रयास किया इसके वावजुद
कुछ खासियत है तभी तो इनकी हस्ती मिटती नही ।
जबसे ये अलग दल बनाए तबसे वरिष्ठ नेता को इज्जत दी,जार्ज साहब सबसे वरिष्ठ थे उन्हे दल का अध्यक्ष स्वीकार किए।वे अस्वस्थ थे
तब भ उन्हे राज सभा का सद्स्य बनवाया।उनके बाद जो वरिष्ठ नेता थे आदरणीय शरद यादव जी उन्हे अध्यक्ष बनाए।जब वेअस्वास्थ रहने लगे तो सभी साथियों के कहने पर स्वयंअध्यक्ष बने।
R C P सिंह साहब नेता नहीं
प्रशासक थे उन्हे नेता बनाए,राष्ट्रीय अध्यक्ष और फ़िर मंत्री तक बनाए क्या हुआ सबने देखा । प्रशांत किशोर जी आज परिचय के मोहताज नहीं है मगर इनकी
पहचान किसने बनाई ।यहाँ तक की दूसरी बार भी आए तो उपाध्यक्ष तक बनाए। मगर
सीधे मुख्य मंत्री बने की लालसा मे दा-दर की खाक छान रहे है। मांझी साब को मुख्य मंत्री तक बनाये।
नवोदित युवानेतामुकेशसाहनी बगैर विधायक रहे मंत्री किसने बनाया ?
माननीय उपेन्द्र जी जाने माने
शिक्षित योग्य नेता है इसमें कोई प्रश्न चिन्ह नही लगता।
मगर इतना अनुभवी होते हुए हर बार हर वरी में निर्णय लेते हैं जिसके कारण मुँह की खानी पड़ती है।इनके साथ रह कर और इनसे अलग हो कर भी देख चुके हैं। जरा सोचिये जब ये इनके दल में मिले थे तो इनके पास एक भी विधायक नहीं एक भी विधान पार्षद या सांसद नहीं थेफिर भी रं की तरह अपने भरत उपेन्द्र जी को दल के सदस्यो की भावनाके खिलाफ इन्हे संसदीय वॉर्ड का अध्यक्ष,विधान पार्षद सब बनाया लोगों को वही डर लगने लगा था जो डर सुदामा
को कृष्ण के स्नेह को देख कर उनकी पत्नी हाथ रोक दिन किस्बुंही को दे देंगे तो संसार का क्या होगा? मगर
उनके जैसा पढा लिखा अनुभवि नेता राम और कृष्ण जैसे भाई,दोस्त को छोडने का निर्णय कैसे ले लिये ? कहते हैं ‘ जमीर बेच कर अमीर नही बनना है ‘ मगर अपने अस्तित्व के लिए भाई के अस्तित्व्को नकार दिया।
‘जागीर की तासीर ने उन्न्हे
नये दल बनाने को मजबुर कर दिया ‘।
18 वर्षों से बगैर बहुमत के बिहार के मुख्य मंत्री बने हैं जनता सब देख रही है ,जान रही हैं की बगैर बहुमत के जो आदमी विकास और सशसं की गंगा बहा दिया है उसे यदि बहुमत दे दिया जाय तो क्याहोगा? यही एक आदमी है जो गाँधी,लोहिया,जयप्रकाश अटल जी और कर्पूरी जी की परम्परा को बनाए रख सकता है। AtoZ की पार्टी का सपना साकार कर सकता है ।
रोते बिहार को जैसे हंसते बिहर बनाया है वैज़े आगर सबका साथ स का विकास चाहते है तो जाति धर्म से उपर उठ कर सभी गैर भाजपा के वोटर एक बार
सकारत्मक सोच का निर्णय लिया तो वो दिन दुर नही जब एक मजबुत विकास और सशसंकी सर्कर्फीर से 2025
में नीतीश जी पुन: बहुमत की सरकार बनाएगें।
इसप्रकार हं देखते हैं कि नीतीश नी जिसे मदद कर आगे बधहे उसमे जे अधिकांस ने भस्मासुर की तरह उनके ही माथे पर हाथ
रखनहे ही मिटाने का असफल प्रयास करता रहा।और नीतीश जी विष पी नीलकंठ बनने का प्रयास कर आज भी मुख्यमंत्रीबने है और जनता चाही तो आगेभी बने रहेगे।
रतन जी ने आगे कहा कि
एक समय था जब बिहार और बिहारी दोनो उपहास के पर्याय बन गए थे। कानुन – व्यवस्था ही नही हर स्थिति से उपहास हो रहा था तो बिहार एक ऐसे राजकुमार को खौज निकाला जो स्नेह प्यार से बिहार की सरकारकोचलाए:-
रोता बिहार खोजा यहाँ
पर ऐसा राजकुमार ।
जो हँसता बिहार बनाके
चलाए यहाँ सरकार ।
काँटो का ताज पहनकर
जिसने बदल दिया बिहार।
वही विकास परुष बनकर
निकले नीतीश कुमार ।

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