धनबाद
जोगता
एक तरफ संयुक्त मोर्चा तो दूसरे तरह श्रमिक संघ के बीच तीखी प्रहार एक दूसरे पे चलना शुरू हुआ, तो ऐसा लगा कि डंप के मजदूरों के साथ होली कि खूनी खेल खेला जाएगा। लेकिन संयुक्त मोर्चा से ही 3 मजदूर नेताओं में अनुज कुमार सिन्हा ,सुखदेव विद्रोही व जसीम अंसारी ने अपना रास्ता जब अलग चुना तो संयुक्त मोर्चा के मजदुर नेता सुरेश महतो व विकाश सिंह तिलमिला कर संयुक्त मोर्चा को बांधने का प्रयास किया लेकिन बांध पाए या नहीं यह तो बंदी के दौरान ही पता चल पाता , लेकिन इससे पहले ही श्रमिक संघ के लोगों ने बंदी को स्थगित कर दिया, लेकिन किस परिस्थिति में बंदी स्थगित हुआ यह तो लोगो के समझ से परे है। आखिरकार इतना ड्रामा मजदूरों के साथ हुआ या नेताओं के बीच चला आम लोगों को समझ आना ए काफी चिंतनीय विषय है। लेकिन चलिए जो होता है वो अच्छे के लिए होता है, अब देखना आगे होगा कि मजदूरों का पैसा समय पर और उचित मजदूरी मिल पाता है कि नहीं यह तो आने वाला वक्त में जरूर दिखाई पड़ेगा