सदा इतिहास रचने वाला व्यक्तित्व के रह्ते कोई कैसे
इतिहास बदलने का प्रयास
करेगा ?—
रवीन्द्र कुमार रतन
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सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं पारिवारिक परि-
स्थितियों में सदा इतिहास रचने वाले व्यक्तित्व के रह्ते कोई कैसे इतिहास बदलने का
प्रयास कर सकता है ? भारत एक हंसता मुस्कुराता उद्दान है,इस फुलवारी में तरह-तरह के फूल खिलते हैं,तरह-तरह के फल फलते हैं ।हिन्दू फ़ूलों की संख्या जादा है,मुस्लिम फूल , सिक्ख फूल,इसाई फूल,बौद्ध और जैन फूल,सभी फ़ूलों को खिलने का,फूलने और फलने
का समान अधिकार है।सबको समान पानी,सबको समान हवा लेने का अधिकार है सब भारत माँ की सन्तान है,न कोई बड़ा,न कोई छोटा, सबको अपना-अपना मौलिक अधिकार है। नियम,कायदे एवं कानून हैं।भारतीय संविधान के तहत जो सीमा रेखा है उसके अंदर रह कर सबका साथ , सबका विकास होने का प्रावधान है।चाहे जिसकी सरकार हो,इन मापदंडों का
पालन तो करना र्ही होगा।नास्तिक विदेशी भी पर्यटन यात्रा करने
भारत आता है तो आस्तिक हो कर लौटता है।यहाँ की अनेकता में एकता, विविध पुष्प के इस गुलशन मे
प्रेम,स्नेह,सहयोग से रह्ते,हंसते,मुस्कुराते भारतीयों को देख सब भ्रातित्व और बन्धुत्व का
यहाँ से पाठ पढते हैं तथा सीखते हैं।भारत देश विश्व गुरु रहा है और भविष्य मे भी रहेगा।
भारत की आजादी में न जाने
कितनी मांग के दमकते सिन्दूर
धूल गए,कितने चिराग बुझ कर घर को अन्धेरा कर गए।
न जाने कितने बूढ़ों के सहारे की लाठी टूट गई,न जाने कितनी बहनों की लाल राखी अपने भाई के लिए तरस के रह गई।अनय भित्ति फिरंगियों के शासन का उन्मूलन हुआ।
जुल्म का जनाजा निकाल गया
तब जा कर देश आजाद हुआ।इस आजादी की लड़ाई मे हमारे हिन्दू,मुस्लिम ,सिक्ख, इसाई सब ने अपने आहुति दी। आज आजादी की लड़ाई में जिसका कोई योगदान नही था वह उस त्यागऔर बलिदान के इतिहास कोबदलनाचाहेगा तो कोई सच्चा भारतीय कैसे बदलने देगा?
जब बिहार भय,भूख ,भ्रष्टाचार
चाल चारित्र के दल दल में फंसा था,तो बिहार ने पुकारा और युवा इन्जीनियर ने बिहार के काँटोंके ताज और चुनौती को स्वीकारा।लगातार 18 वर्षो से बगैर बहुमत के बिहार को दल दल से निकाला और सुंदर बिहार
इतिहास का निर्माण किया।विरोधियों ने पल्टू राम कहा।उन्हों ने एक न सुनी और कहा
जिसको जो कहना है कहे।मैं बिहार के विकास के लिए हर कुर्बानी दूगाँ,चाहे हमें जो सुनना परे ,यहाँ के जनता की सेवा करता रहूंगा।जनता मालिक है। सेवक को जनता जब चाहे उतार दे।काश! इन्हें बहुमत की सरकार मिली रह्ती तो जनता के मनोनुकूल विकास होता।मगर सदा मजबुरी रही कि अपने सहयोगियों की बात भी रखनी पड़ती।
आज इस देश मे इतिहास के पन्ने बदलने की प्रवृति पनप रही है विकास करो या न करो,भय,भूख ,भ्रष्टाचार दुर करो या न करो,सकारात्मक करो तो नकारात्मक ही करो ,कुछ तो करो का होर लगा है
कल नीतीश जी ने कहा कि
‘ कुछ लोग पुरे देश के इतिहास को बदलने के चक्कर में हैं।इतनी बड़ी आजादी की लड़ाई लड़ी गई ,
उसे नई पीढी को जानना चाहिए,तो कुछ लोग सब बदल देना चाहते हैं।उन्होंने
जोड़दार शव्दों मे कहा कि
हम लोग देश का इतिहास बदलने नहीं देंगे।जो लोग देश का इतिहास बदलने में लगे हैं,वे ऐसा दुसाहस करने में सफल नहीं हो पाएँगे। इस देश की जनता उन्हे ही बदल देगी।
आगे नीतीश जी ने कहा कि
हम लोग सबके हित में काम
कर रहें हैं, सभी के सहयोग से बिहार आगे बढ़ रहा है।कोई ऐतिहासिक कदम उठाये
गए हैं,लेकिन कुछ लोग माहौल बिगारने की कोशिश मेंलगे हैं।काम करेसिपाहीनाम हवलदार के।काम हमलोग करतेहैंऔरउसकाश्रेय लेने के लिए उपर का आदमी आ जाता है
बीर कुअर सिंह,महाराणा प्रताप,,शिवाजी,महात्मा गाँधी,डा 0 राजेन्द्र प्रसाद,सुभाष चंद्र बोस,जय
प्रकाश नारायण,सच्चिदानन्द
सिन्हा, लोहिया, कर्पूरीठाकुर,
अटल आडवाणी,भगत सिंह,चंद्र शेखर आजाद रामप्रसाद विस्मिल, लाला लाजपत राय जैसे अनेको नाम भारतीय इतिहास के सुनहरे पन्ने पर रहे हैं। महापुरषों
के बारे में स्कूली बच्चों को पढाया जाय तकि
नई पीढी सभी महापुरुषों के इतिहास से अवगत हो सके।
पुरानी बातो,पूर्वजों के कार्य कलापों को जान सके।
नीतीश जी ने जिसे भी आगे बढ़ाया उसमें अधिकांश ने भष्मासुर की तरह उन्ही के माथे पर हाथ रख देने का प्रयास किया। मान सम्मान की बात तो दुर अभी अभी
प्रोन्नति पाए एक नए नेता जो कहते हैं कि इस बार उन्हें मिट्टी मिला देंगे। भईया जनता के अधिकार की बात आप क्यों करते हो।यह अधिकार तो जनता का है वह जिसे चाहे राजा बना दे,जिसे चाहे रंक बना दे।आप अनाधिकार पिता के उम्र से
ढाही मार कर लड़ाई ले रहे हो? जनता की सेवा,प्रेम की वाणी बोलो जनता का मेवा लो।
इस प्रकार हम देखते हैं कि
सदा इतिहास बनाने बाले व्यक्तित्व के रह्ते कोई कैसे इतिहास बदलने का प्रयास
कर सकता है।