नवोदय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के वैनर तले नवोदय आन लाइन काव्य गोष्ठी काअयोजन।
बिहार के हिन्दी-बज्जिका कवि रवींद्र -रतन शामिलहुए।
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नवोदय सहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था लखनऊ के
वैनर तले नवोदय आन लाइन
साप्ताहिक लाइव काव्यगोष्ठी
आयोजित हुई।
इसके संस्थापक बैंकिग सेवा से सेवा निबृत साहित्यकार अष्ठाना महेश प्रकाश वरेलवी
जी,अध्यक्षप्रभातकुमारसरवर
उपाध्यक्ष राम शंकर वर्मा ,
मंत्री शीला वर्मा ‘ मीरा’ एवं प्रचार मंत्री श्रेता शुक्ला जी ।
इस काव्य गोष्ठमें पधारे मुख्य
कवयित्रि डा 0 बीणासिंहरागी
विशिष्ठ कवयित्री लखनऊ की
रेखा बोरा जी एवं ऋषि श्रीवास्तव जी एवं काव्य गोष्ठीको प्राणवाण बनने बाले रस सिद्ध संचालक सायर और गजलकार जनाबे साविर परवेज दिल्ली से शामिल होकर इस कविगोष्ठी कोजानदार,शानदारबनादिय।
इस काव्य गोष्ठी का सदारत
कर रहे थे हाजीपुर बिहार के
हिन्दी,बज्जिका केवरिष्ठ कवि भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत रोकड़ पदाधिकारी सह
पूर्व राजभाषासमन्वयसमिति के सचिव रवींद्र कुमार रतन
जी कर रहे थे।++++++++++++++++
नवोदय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था के लोग तबाह! हो गए इश्क़ में,
प्रेम करते तो तर जाते!!
मोहिनी शर्मा के कवि रवींद्र -रतन शामिलहुए।
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नवोदय सहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था लखनऊ के
वैनर तले नवोदय आन लाइन
साप्ताहिक लाइव काव्यगोष्ठी
आयोजित हुई।
इसके संस्थापक बैंकिग सेवा से सेवा निबृत साहित्यकार अष्ठाना महेश प्रकाश वरेलवी
जी,अध्यक्षप्रभातकुमारसरवर
उपाध्यक्ष राम शंकर वर्मा ,
मंत्री शीला वर्मा ‘ मीरा’ एवं प्रचार मंत्री श्रेता शुक्ला जी ।
इस काव्य गोष्ठमें पधारे मुख्य
कवयित्रि डा 0 बीणासिंहरागी
विशिष्ठ कवयित्री लखनऊ की
रेखा बोरा जी एवं ऋषि श्रीवास्तव जी एवं काव्य गोष्ठी
को प्राणवाण बनने बाले रस सिद्ध संचालक सायर और गजलकार जनाबे साविर परवेज दिल्ली से शामिल हो
कर इस कविगोष्ठी को को जानदार,शानदार बना दिया।
इस काव्य गोष्ठी का सदारत
कर रहे थे हाजीपुर बिहार के
हिन्दी,बज्जिका केवरिष्ठ कवि भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत रोकड़ पदाधिकारी सह
राज भाषा समनवय समिति केपूर्व सचिव रवींद्र कुमार रतन जी कर रहे थे।
सर्वप्रथम संस्थापक अष्ठाना
महेश प्रकाश जी ने सभी कवियों का एक दूसरे से परिचय कराया।फिर स्नेह्प्रिय
ऋषि से आग्रह किया कि वे
सरस्वती वंदना के द्वारा काव्यगोष्ठी का श्री गणेश कराएं।
कवयित्री रेखा बोरा जी ने अपनी कविता ‘ हाथ मेहदी रची,साजना से मिलन की घरी आ गई ‘। गा कर तालियां बटोरी।फ़िर बारी आई युवा कवयित्री ऋषि श्रीवास्तव का,
‘ तुम मिलन गीत गाते रहे हो
मैं तुम्हें गुण गुनाती रही ‘ ।
मुख्य कवयित्री डा 0वीणा सिंह ने अपनो ओजस्वी वाणी से सस्वर काव्य पाठ कर श्रोताओं को झूमा दिया।इनकी पंक्तियां ‘ कर रही दुनिया को अलविदा मीरा तेरे लिए क्या?
संस्थापक ने सबको संचालित करने वाले संचालक को संचालित करते हुए जनाबे गजलकार,सायर साबिर परवेज जी को अपनी गजलों
से बाधने का आग्रह किया।’ आहो में रहूंगा या तेरी
चाहोंमें रहूंगा ।एक रोशनी बन तेरे निगाहों में रहूंगा ।
अब बारी आई अध्यक्षीय काव्य पाठ करने का।हाजीपुर बिहार से आए हिन्दी बज्जिकाके वरिष्ठ कवि रविंद्र कुमार रतन ने काव्य पाठ के पहले संस्था के सभी सद्स्यों
को आभार एवंधन्यवाददिया। फ़िर सभी आगत कवि कवयित्रीयों को चंदन वंदन और अभिनंदन करते हुए उनके द्वारा किए गए काव्य पाठों की प्रशंसा की। तब समाजऔरदेशमेव्याप्तविषमता,भय,भूखभ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए चार पंक्ति सुनाया:-
कब तक हम बेकार रहेंगे ?
कब तक भ्रश्टाचार रहेगा ?
कब तक यह लाचारी होगी?
कब पीड़ा चिन्गारी होगी?
तिलों की गड़ग्राहट की बीच श्रोताओं की वाह! वाह!! की
आबाज आने लगी।कवि रतन ने तीन हिन्दी मेफिर श्रोताओं की मान्गपर एक बज्जिका में कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरी।
1 चैन शान्ति सुख का पैगाम।
2 सबको मुक्त कराएं हम ।
3 हम राष्ट्रीय उत्सवसामनाएं।
4 बेटी महातम, भ्रूण हत्या के खिलाफ,बेटियों की महत्ता परप्रकाश। अन्त में संस्थापक को कार्य क्रम आयोजित करने के लिए बधाई दी तथा
मुख्य श्रोता के रुप में उप-स्थित किरन दयाल जी वैभवी जी ,आर के तिवारी ,
नागेन्द्र नाथ गुप्ता जी आदि के प्रति भी आभार और धन्यवाद प्रेषित किया।
अन्त में धन्यवाद ज्ञापन के साथ अष्ठाना साहब ने कार्य
क्रम की समाप्ती की घोषणा की ।
सर्वप्रथम संस्थापक अष्ठाना
महेश प्रकाश जी ने सभी कवियों का एक दूसरे से परिचय कराया।फिर स्नेह्प्रिय
ऋषि से आग्रह किया कि वे
सरस्वती वंदना के द्वारा काव्य
गोष्ठी का श्री गणेश कराएं।
कवयित्री रेखा बोर जी ने अपनी कविता ‘ हाथ मेहदी रची,साजना से मिलन की घरी आ गई ‘। गा कर तालियां बटोरी।फ़िर बारी आई युवा कवयित्री ऋषि श्रीवास्तव का,
‘ तुम मिलन गीत गाते रहे हो
मैं तुम्हें गुण गुनाती रही ‘ ।
मुख्य कवयित्री डा 0वीणा सिंह ने अपनो ओजस्वी वाणी से सस्वर काव्य पाठ कर श्रोताओं को झूमा दिया।इनकी पंक्तियां ‘ कर रही दुनिया को अलविदा मीरा तेरे लिए क्या?
संस्थापक ने सबको संचालित करने वाले संचालक को संचालित करते हुए जनाबे गजलकार,सायर साबिर परवेज जी को अपनी गजलों
से बाधने का आग्रह किया।’ आहो में रहूंगा या तेरी
चाहोंमें रहूंगा ।एक रोशनी बन तेरे निगाहों में रहूंगा ।
अब बारी आई अध्यक्षीय काव्य पाठ करने का।हाजीपुर बिहार से आए हिन्दी बज्जिका के वरिष्ठ कवि रविंद्रकुमार रतन ने काव्य पाठ के पहले संस्था के सभी सद्स्योंको आभार एवंधन्यवाददिया। फ़िर सभी आगत कवि कवयित्रीयों को चंदन वंदन और अभिनंदन करते हुए उनके द्वारा किए गए काव्य पाठों की प्रशंसा की। तब समाज और देशमेव्याप्तविषमता,भय, भूखभ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए चार पंक्ति सुनाया:-
कब तक हम बेकार रहेंगे ?
कब तक भ्रश्टाचार रहेगा ?
कब तक यह लाचारी होगी?
कब पीड़ा चिन्गारी होगी?
तिलों की गड़ग्राहट की बीच श्रोताओं की वाह! वाह!! की
आबाज आने लगी।कवि रतन ने तीन हिन्दी मेफिर श्रोताओं की मान्गपर एक बज्जिका में कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरी।
1 चैन शान्ति सुख का पैगाम।
2 सबको मुक्त कराएं हम ।
3 हम राष्ट्रीय उत्सवसामनाएं।
4 बेटी महातम, भ्रूण हत्या के खिलाफ,बेटियों की महत्ता परप्रकाश। अन्त में संस्थापक को कार्य क्रम आयोजित करने के लिए बधाई दी तथा
मुख्य श्रोता के रुप में उप-स्थित किरन दयाल जी वैभवी जी ,आर के तिवारी ,
नागेन्द्र नाथ गुप्ता जी आदि के प्रति भी आभार और धन्यवाद प्रेषित किया।
अन्त में धन्यवाद ज्ञापन के साथ अष्ठाना साहब ने कार्य
क्रम की समाप्ती की घोषणा की ।