बज्जिका ही सुने, बज्जिका को ही पढ़े,बज्जिका में ही लिखे और अब होने वाले जन
गणना में अपनी मातृ भाषा बज्जिका ही लिखवाबें तभी बज्जिका भाषा का विकास होगा।
बिहार:
बिहार बज्जिका विकास परिषद हाजीपुर के अध्य्क्ष डाक्टर नवल किशोर प्रसाद श्रीवास्तव अवकाश प्राप्त हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं अवकाश प्राप्त बैंक कर्मी सह बज्जिका साहित्य के उन्नायक
प्रयासकर्ता श्री रबीन्द्र कुमार रतन ने बज्जिका भाषा के उद्भव आर विकास की मन्द गति पर चिंता जताते हए सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करते हए बज्जिका भाषी क्षेत्र के सभी लोगों से आग्रह किया है कि अगर बज्जिका का विकास चाहते हैं तो आज से ही संकल्प लें कि हम बज्जिका में ही सुने, बज्जिका में ही पढ़े ,बज्जिका में ही लिखें और अब होन्र बाले जनगणना में अपनी मातृ भाषा भी बज्जिका ही लिखवाए तभी बज्जिका भाषा का विकास होगा ।
रतन ने आगे कहा कि
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बज्जिका क्षेत्र की महत्व पूर्ण मातृ भाषा बज्जिका ही है इसके बाबजूद भी अब तक सरकार की ओर से इस
भाषा के विकास पर कोई ध्यान नही है ।बज्जिका भाषा के सर्वांगीण विकास के लिये बिहार बज्जिका अकादमी को दुरुस्त करने की आवश्यकता है क्यों कि बज्जिका महज यहाँ की भाषा ही नही बल्कि
विविध विधा की सांस्कृतिक धरोहर हैं ।जिसे कायम रखते हए इसके बहुयामी विकास करना आज समय और यहाँ की जनता की मांग है।
दोनो साहित्यकार ( डाक्टर नवल बाबू एवं रबीन्द्र रतन ) ने कहा कि भारत ही नहीं अपितु विश्व पटल पर प्रथम गणराज कहलाने वाली वैशालीऔर बज्जिका क्षेत्र की करोडो जनता के द्वारा बोली जाने बाली भाषा जोउस क्षेत्र की जनता का कण्ठ हार बनी हुई है ।
आज भी तिरहुत प्रमंडल क्षेत्र की अधिकांस आवादी के बीच बोली जा रही बज्जिका की बिभिन्न विधाओ मे इस भाषा का साहित्य सम्रद्ध होने के साथ- साथ इसका अपना गौरवशाली
इतिहास, भूगोल, व्याकरण और लिपि हैं ।बाबजूद इसके बज्जिका भाषा समृद्ध और सशक्त बनने के लिये अपने साहित्यकारो और सरकार की ओर नजर लगाये आशा की बाट जोह रही है ।
श्री रतन ने आह्वान करते हए कहा कि बज्जिका क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों, विधायकों और सांसदो की जिम्मेवारी बनती हैं कि बज्जिका भाषा के उद्भव और विकास में वे अपना- अपना योगदान निर्धारित करें और विधान सभा तथा लोक सभा में
इस भाषा की आवाज को बुलंद करे। ताकि वैशाली और तिरहुत की भाषाई गौरव गरिमा को कायम किया जा सके
बज्जिका भाषा के विकास मे लगे अखौरि चंद्र शेखर र्जी ,ज्वाला प्रसाद सिंह श्री मती विद्दा चौधारी, सरोज वाला सहाय , सुधा वर्मा , मणि भुषन प्रसाद सिंह,सुधांसु चक्रवर्ती आदि के संघर्स और परिश्रम
की प्रशंसा करते हए बज्जिका भाषा केउज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ!
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रतन ने इस बात के लिए प्रशन्नता जाहिर की है की श्री संजय वर्मा साहब के कमान सम्भालने से कई विधायक कवि,साहित्यकारों ने इस सम्बंध में राष्ट्र पति ,प्रधान मंत्री,गृहमंत्री,राज्यमंत्री,विधायक आदि से पत्राचार कर इस लड़ाई को धारदार और आशा जनक बन दिया है सभी बधाई के पात्र हैं।