नावाडीह के लोग बरसात में नारकीय जीवन जीने को मजबूर
धनबाद:
धनबाद के नावाडीह स्थित नंदन रेजिडेंसी अपार्टमेंट के निवासियों की समस्याएँ बरसात के मौसम में और भी बढ़ जाती हैं। पूर्व में बना नाला का रास्ता बंद कर देने के कारण, बरसात का पानी कई घरों में घुस रहा है। इसके चलते, अपार्टमेंट के निवासी और उस रास्ते से आने जाने वाले राहगीर भी बरसात के जमे पानी से होकर जाने पर मजबूर हैं। लोयाबाद: छेड़खानी के मामले में आरोपी मुकेश कुमार ने किया सरेन्डर, भेजा गया जेल !
अपार्टमेंट के निवासियों का कहना है कि उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए पहले ही धनबाद के उपायुक्त को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक साल बीत जाने के बाद भी उपायुक्त और नगर निगम की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। विडंबना यह है कि कुछ ही दिनों में मानसून का आगमन होगा, और बरसात का दुर्गन्ध रहित जलजमाव पानी कई घरों में घुस जाएगा। जलजमाव होने के कारण कई गंभीर बिमारियों के साथ साथ कई संकटों का सामना करना पड़ेगा !
कल शाम की आधे घंटे की बारिश में ही पूरा अपार्टमेंट जलमग्न हो गया था, जिससे निवासियों को जीवन जीने में बहुत कठिनाई हो रही है। छोटे बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और लोग अपने घरों से पानी निकालने को मजबूर हैं। अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो आने वाले बरसात में पूरा अपार्टमेंट क्षतिग्रस्त होने की संभावना है। निवासियों की यह चिंता है कि वे जाएं तो जाएं कहां।
हमारे संवाददाता ने गांव के मुखिया तापस बनर्जी से इस मामले में जानकारी लेने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि उन्होंने पिछले वर्ष इस समस्या की लिखित सूचना उपायुक्त महोदय को दी थी, और इसका बजट भी पास हो गया था। लेकिन नाला निर्माण का बजट ज्यादा होने के कारण काम पर विराम लग गया। बाघमारा थाना क्षेत्र में 22 वर्षीय कर्मी की मौ’त से मचा हड़कंप
वहीं, समाजसेवी संजय पंडित का कहना है कि 8 लाइन निर्माण से पहले स्थिति सामान्य थी, लेकिन जब यहाँ 8 लाइन की शुरुआत हुई थी, तब दोनों साइड के लोगों ने अपनी-अपनी जमीन ब्लॉक कर दी, जिसमें से एक नाला था जहाँ से पानी पंपू तालाब में जाता था। लेकिन कुछ वर्षों पूर्व लोगों ने अपनी-अपनी जमीन बंद कर दी, जिससे पिछले वर्ष से ही जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। हालांकि इस गंभीर समस्या को जिला प्रशासन के संज्ञान में दिया गया और इसके लिए कार्य भी हुआ तथा बजट भी बना। लेकिन दुर्भाग्यवश बजट ज्यादा होने के कारण यह काम पूर्ण नहीं हो सका।