लगभग दो दशक से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी, नीतीश कुमार के इर्द -गिर्द

नीतीश कुमार‘ राज्य स्तरीय विकास पुरुष तो ‘ नरेंद्र मोदी जी ‘ राष्ट्रीय विकास पुरुष के प्रणेता हैं – रवीन्द्र।

बिहार:

लगभग दो दशक से बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी, नीतीश कुमार के इर्द -गिर्द घूमता आ रहा है l

बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ है, मगर मुख्य मंत्री का चेहरा नहीं बदला है !

राज भाषा हिन्दी ,राष्ट्र भाषा के सिंहासन पर आरूढ़

गठबंधन की सरकार हटी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक बार फिर राज़द से मोह भंग हुआ ! पुराने सहयोगी या यों कहें कि इनका राजनितिक उत्थान ही एन डी ए से हुआ था,

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह जी की पुण्यतिथि मनाई गई

जो प्यार आज फिर से जगा परिणामत:राम-भारत फिर से गले मिले, जिसका परिणाम सामने है बिहार और बिहार की जनता के हित में नीतीश कुमार दल बदलू नहीं, दल की एकजुटता के हित में नीतीश कुमार दलबदलू नहीं,कहीं-किसी गठबंधन में आते-जाते रहें है उनके विचार और नरेन्द्र मोदी जी के विचार में सम्यता है कि दोनों विकास पुरुष हैं ! दोनो.सुशासन बाबु हैं !

एक राज्य स्तरीय है तो दूसरे राष्ट स्तरीय के है l एक ने राज्य स्तरीय सड़क के गढों को भरा
है तो दूसरे ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि में निखार लाने का काम किया है l
जिन लोगों ने नीतीश जी को भ्रम के माया जाल में घेर रखा ,PM की कुर्सी का सब्जबाग दिखाने का काम किया , वही लोग दल से अलग हो गए या अलग कर दिए गए l उन सभी की नजर उनके बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी ,पर नीतीश जी इतने कमजोर खिलाड़ी नहीं थे l

बिहार की राजनीति अगर पन्ने पलटें तो नीतीश कुमार वे मेल गठबंधन !

पहली बार 2014 में किया, वह जंगल राज सरकार के घोर विरोधी थे, उन्होंने राज़द से गठबंधन कर
बहुमत से चुनाव जीत गये l वर्ष 2017 में इनका मोह गठबंधन से भंग हुआ और भाजपा से अपना नाता जोड़ लिए l
वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव 2020 का विधान सभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा, एक स्व0 बड़े नेता के धोखे के कारण इन्हें
सिर्फ 43 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा l बाबजूद इसके भाजपा ने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए मुख्यमंत्री का ताज पहनाया

2022 में फिर स्वार्थी साथियों के सब्जबाग में इनकी आँखें चौंधिआने लगी और भाजपा इन्हें तानाशाही नजर आने लगी l इन्होंने अपने किए कार्यों का श्रेय राज़द को देना स्वीकार नहीं था, परिणामतः बिहार मे भाजपा पुनः इन्हें अपने साथ स्वीकार ली l

यह भी सत्य है कि इस मिलन का परिणाम जद यू और भाजपा दोनों के लिए ही लाभदायक होगा l सन 2024 के चुनाव से पहले भाजपा बार-बार सह और मात खेल खेलने वाले के साथ हाथ मिलाने का काम, बिहार के विकास के लिए किया l आख़िर नीतिश जी को लगा कि राष्ट्रीय महत्वकांक्षा से अच्छा है अपने बिहार की. सेवा कर सुशासन बाबु बने रहे l

2025 का विधान सभा चुनाव उनका अंतिम चुनाव थोड़े ही होगा l भाजपा के साथ अब भी यदि बने रहेंगे तो बिहार का मुख्यमंत्री और भारत का प्रधान मंत्री यथावत बने रहेंगे l हम देखते है कि जब दोनों एक साथ रहते हैं तो एक दूसरे की तारीफ में न
केवल कसीदे पढ़ते हैं अपितु परिवार वाद पर नीतीश जी का प्रहार भी प्रभावी होता है l
नीतीश जी के अलग हो जानें से नरेंद्र मोदी जी की चिंता बिहार के प्रति बढ़ जाती है l अब निश्चय होकर राष्ट्र के सर्वागीण विकास में मोदी जी का ध्यान लगेगा l राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय फलक प़र नरेंद्र मोदी जी ने देश का मान-सम्मान बढ़ाया है वह किसी से छिपा नहीं है !

आज भारत ही नहीं अपितु भारत के बाहर. के देशो में भारत का भाल गर्व से ऊंचा हुआ है l भारत के अंदर भी कश्मीर समस्या, अयोध्या समस्या वाराणसी का विकास में समस्याओं का निराकरण कर आदरणीय मोदी जी राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय पटल प़र भारत का मान-सम्मान बढ़ाने में अभूत पूर्व सफलता पायी हैं, इस मिलन का परिणाम होगा कि बिहार मे 40 में 40 और भारत में 400 के पार पहुंचने की गारंटी है l हम इन दोनों के शतायु होने एवं सुन्दर स्वास्थ्य, सुखी जीवन की कामना करते हैं l